महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : श्री संभवनाथ जिनालय गुलटेकडी जैनसंध पूना में पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि प्रभु महावीर सर्वज्ञ होने के साथ-साथ महान वैज्ञानिक भी थे। विश्व की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए प्रभु महावीर के सिद्धांतों पर अमल करना बहुत जरूरी है। सर्वोदय कार्यकर्ता विनोबा भावे ने जैनधर्म मेरी दृष्टि पुस्तक में कहा, “दुनिया में व्याप्त हिंसा का समाधान प्रभु महावीर द्वारा दिखाए गए सिद्धांत में निहित है। दुनिया में कई मसीहा (भगवान) हैं। लेकिन प्रभु महावीर की मेरे पर अधिक प्रभाव पड़ता है”।
आज के वैज्ञानिकों ने परमाणु बम, मिसाइल, मोबाइल, टीवी आदि अनेक उपकरण विकसित करके दुनिया को शक्तिशाली बना दिया है। लेकिन ये सभी लेटेस्ट साधन शांति, समाधि, आनंद देने में पूरी तरह विफल रहे हैं। विज्ञान ने शक्ति को कई गुना बढ़ा दिया है और शांति को विभाजित कर दिया है। आज सहनशक्ति की बहुत कमी है।
अब धैर्य नहीं रहा। 50-60 साल पहले आपको ट्रंक कॉल के लिए इंतजार करना पड़ता था। डाकिया के आने का इंतजार किया जा रहा था। बिल चुकाने या रेल टिकट खरीदने के लिए कतार में खड़ा होना पड़ता था।
आज इंस्टेंट का जमाना आ गया है। अब धैर्य ख़त्म हो गया है। गाड़ी को साइड न मिले तो गुस्सा, कोई मोबाइल फोन न उठाए तो गुस्सा, खाना थोड़ा देर से आए तो पत्नी पर गुस्सा। संक्षेप में एक तनावग्रस्त व्यक्ति शारीरिक स्वास्थ्य खो देता है। तीव्र क्रोध शरीर की कोमल कोशिकाओं को जला देता है।
इससे हृदय और लीवर आदि रोग हो सकते हैं। अत्यधिक चिंता उच्च रक्तचाप और अवसाद जैसी स्थितियों का कारण बनती है। ऐसी कई छोटी-बड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नियमित सत्संग करना चाहिए।