भविष्य निर्माण की दिशा में सशक्त और प्रेरणादायी पहल
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : श्री गुरु पुष्करधाम साधना केंद्र के सहयोग से संचालित जैन धर्म संस्कार पाठशाला में बच्चों को निःशुल्क रूप से जैन धर्म की मूल शिक्षाएँ, संस्कार एवं नैतिक मूल्य सिखाए जा रहे हैं।
यह पाठशाला समाज में धार्मिक चेतना जागृत करने के साथ-साथ भावी पीढ़ी के संस्कार निर्माण का एक सशक्त माध्यम बनकर उभरी है। इस पाठशाला के सफल और सुचारु संचालन में वंदना कर्नावट एवं अनिता श्रीश्रीमाळ के अथक परिश्रम, समर्पण और सेवा भावना की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उनके निरंतर प्रयासों का ही परिणाम है कि आज बच्चों को पुच्छीसुणं स्तोत्र, भक्तामर स्तोत्र, सामायिक पाटी, प्रतिक्रमण सहित जैन धर्म से जुड़े विविध संस्कार विधिवत एवं सरल रूप में सिखाए जा रहे हैं।
पाठशाला की विशेषता यह है कि यहाँ बच्चों को बिना किसी शुल्क (वीणामूल्य) जैन धर्म, संस्कृति और जीवन मूल्यों का ज्ञान दिया जा रहा है। इससे बच्चों में न केवल धार्मिक संस्कार विकसित हो रहे हैं, बल्कि अहिंसा, संयम, अनुशासन, सत्य और सदाचार जैसे मानवीय गुणों का भी संस्कार हो रहा है।
पाठशाला से जुड़े पदाधिकारियों ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक बच्चों को इस जैन संस्कार पाठशाला से जोड़ें, ताकि आने वाली पीढ़ी संस्कारवान, सुसंस्कृत और नैतिक रूप से सशक्त बन सके।
“आज का वर्तमान ही कल के उज्ज्वल भविष्य की नींव है” इस विचार को साकार करती यह जैन धर्म संस्कार पाठशाला समाज के लिए एक आदर्श एवं प्रेरणादायी उदाहरण बनती जा रही है।
















